भारत में गिद्धों की कमी से इतने लाख लोगों की असमय मौत, चौंका देगा आपको ये आंकड़ा

 

नई दिल्ली. भारत में गिद्धों की संख्या में भारी कमी ने देश की पारिस्थितिकीय स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ सालों में 5 लाख से अधिक लोगों की असमय मौत हो चुकी है। यह चौंकाने वाला आंकड़ा पारिस्थितिकी तंत्र में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है और इस बात की पुष्टि करता है कि उनके बिना जीवन सुरक्षा और स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है।



गिद्ध, जो स्वाभाविक रूप से मृत पशुओं को साफ करने में अहम भूमिका निभाते हैं, उनकी कमी ने व्यापक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। गिद्धों की घटती संख्या के कारण, मृत जानवरों के शरीर को समय पर नष्ट नहीं किया जा रहा है, जिससे कि उन्हें कीटाणुओं और बैक्टीरिया के लिए आदर्श वातावरण मिल रहा है। इसके परिणामस्वरूप, ज़ूनोटिक बीमारियाँ फैल रही हैं और असमय मौतें हो रही हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, गिद्धों की कमी का मुख्य कारण उनके लिए विषाक्त दवाओं का उपयोग है, जो पशुओं के उपचार में दी जाती हैं। इन दवाओं का प्रभाव गिद्धों पर भी पड़ता है, जिससे उनकी मृत्यु दर में वृद्धि होती है और उनकी प्रजनन दर घटती है। इसके अलावा, पर्यावरणीय परिवर्तन और निवास स्थान की हानि भी इस संकट को बढ़ावा दे रही है।

इस स्थिति को देखते हुए, सरकार और पर्यावरण संरक्षण संगठनों ने गिद्धों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है। गिद्धों की संख्या को पुनः बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि गिद्धों के लिए विशेष रूप से बनाए गए संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना और विषाक्त पदार्थों के उपयोग पर नियंत्रण।

गिद्ध घटने से बढ़ गई कुत्तों की संख्या

शोध के अनुसार, जिन इलाकों में गिद्ध कम हुए हैं वहां आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। साथ ही उनमें रेबीज का भी खतरा अधिक पाया गया। ये गिद्धों की तरह शव को पूरी तरह खत्म करने में सक्षम नहीं होते हैं। जबकि गिद्धों का समूह एक शव को 40 मिनट में साफ कर सकता है।

पशुओं की दर्द की दवा डिक्लोफेनाक बनी घातक

साल 1994 में किसानों ने दर्द, सूजन के उपचार के लिए मवेशियों को ‘डिक्लोफेनाक’ नामक दवा देना शुरू किया, लेकिन यह उन गिद्धों के लिए घातक थी जो इन जानवरों को खाते थे। इससे उनके गुर्दे नष्ट हो जाते थे। इसके बाद केवल एक दशक में, भारतीय गिद्धों की 5 करोड़ से अधिक आबादी घटकर मात्र कुछ हजार रह गई।

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