Guest House Case: मायावती ने SP-Congress पर बोला हमला, कहा- कांग्रेस कभी नहीं बोली, न बीजेपी ने मुझे बचाया

Guest House Case: पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने लखनऊ में राज्य गेस्ट हाउस में हुए कांड को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर हमला बोला है। मायावती ने कहा कि सपा ने 2 जून 1995 में बीएसपी द्वारा समर्थन वापसी के बाद मुझ पर जानलेवा हमला कराया था तो इस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती है।मायावती ने सोमवार को एक्स पर सिलसिलेवार क‌ई पोस्ट की।

पूर्व सीएम मायावती ने अपने खिलाफ भाजपा के एक विधायक की आपत्तिजनक टिप्‍पणियों पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की नाराजगी पर आभार जताने के तीसरे दिन सोमवार को यू टर्न लेते हुए सपा और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मायावती के खिलाफ भाजपा के विधायक राजेश चौधरी की आपत्तिजनक टिप्‍पणियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा था कि सार्वजनिक रूप से दिए गए इस वक्तव्य के लिए विधायक पर मानहानि का मुकदमा होना चाहिए। मायावती ने इस पर शनिवार को अखिलेश के प्रति आभार जताया था।



सोमवार को पूर्व सीएम मायावती ने एक्‍स पर अपने पोस्ट कर कहा कि सपा ने दो जून 1995 को बसपा द्वारा समर्थन वापसी पर मुझ पर जानलेवा हमला कराया था,जिस पर कांग्रेस कभी क्यों नहीं बोलती। केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी समय से अपना दायित्व नहीं निभाया था। मायावती ने कहा कि तब कांशीराम ने अपनी बीमारी की गम्भीर हालत में रात को इनके गृह मंत्री के समक्ष नाराजगी जताई थी और विपक्ष ने भी संसद को घेरा तब जाकर कांग्रेस सरकार हरकत में आई थी।

मायावती ने कहा कि क्योंकि केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीयत खराब थी, जो अनहोनी के बाद उप्र में राष्ट्रपति शासन लगाकर पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी। उसका यह षड्यंत्र बसपा ने नाकाम कर दिया था। मायावती ने कहा कि तब सपा के आपराधिक तत्वों से भाजपा सहित विपक्ष ने मानवता के नाते मुझे बचाकर अपना दायित्व निभाया था,जिसकी कांग्रेस को बीच-बीच में तकलीफ होती रहती है।

मायावती ने कहा कि बसपा हमेशा से जातीय जनगणना की पक्षधर रही है और केंद्र की सरकारों पर दबाव बनाती रही है,लेकिन जातीय जनगणना के बाद, क्या कांग्रेस SC, ST व OBC वर्गों का वाजिब हक दिला पायेगी, जो SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमीलेयर को लेकर अभी भी चुप्पी साधे हुए है,जवाब दे।

मायावती ने कहा कि केन्द्र में बीजेपी की सत्ता आने से पहले कांग्रेस ने अपनी सरकार में राष्ट्रीय जातीय जनगणना क्यों नहीं कराई थी जो अब इसकी बात कर रहे हैं,जवाब दें। जबकि बीएसपी इसके हमेशा ही पक्षधर रही है, क्योंकि इसका होना कमजोर वर्गों के हित में बहुत जरूरी है।

मायावती ने कहा कि इतना ही नहीं संविधान के तहत एससी/एसटी को मिले आरक्षण में अब वर्गीकरण व क्रीमीलेयर के जरिये इसे निष्प्रभावी बनाने व खत्म करने की चल रही साजिश के विरोध में कांग्रेस, सपा व बीजेपी आदि का भी चुप्पी साधे रखना क्या यही इनका दलित प्रेम है, सचेत रहें।

मायावती ने कहा कि सपा व कांग्रेस आदि जैसी इन आरक्षण विरोधी पार्टियों के साथ अब किसी भी चुनाव में इनसे कोई गठबन्धन आदि करना क्या SC, ST व OBC वर्गों के हित में उचित होगा। यह कतई नहीं होगा ऐसे में अब इनको खुद अपने दम पर खड़े होना है।यही सलाह।

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री बसपा मुखिया मायावती पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं।सपा-कांग्रेस और बीजेपी पर हमला करने में मायावती चूकती नहीं हैं। मायावती कांग्रेस और सपा की कोशिशें से परेशान हैं।  सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक वोटों को ध्यान में रखकर पीडीए का फार्मूला दिया है। अखिलेश यादव की नजर बसपा और बीजेपी से दूर हो रहे दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों पर है। वहीं कांग्रेस की कोशिशें भी इसी दिशा में चल रही हैं।राहुल गांधी हर दूसरे दिन दलितों और पिछड़ों से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं। राहुल गांधी जातीय जनगणना की भी लगातार वकालत कर रहे हैं। राहुल गांधी लगातार लोकतंत्र और संविधान को खतरे में बता रहे हैं। कांग्रेस इसके जरिए अपना खोया हुआ जनाधार वापस लेने की कोशिश कर रही है।इन मुद्दों का असर कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिली सीटों में नजर आ रहा है। इसलिए राहुल गांधी लगातार आरक्षण,संविधान और जातीय जनगणना की वकालत कर रहे हैं।

बता दें कि बसपा ने अगले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव लड़ने की घोषणा की है। इसी वजह से बसपा मुखिया मायावती काफी सक्रिय हैं। चुनाव-दर-चुनाव वोट घटने से मायावती परेशान हैं। मायावती उसे समटने और अपने पाले में लाने में जुटी हुई हैं। लोकसभा चुनाव में फिर शून्य हुई बसपा अब सधा हुआ कदम उठा रही है। बसपा अब न तो बीजेपी के साथ नजर आना चाहती है और न ही इंडिया गठबंधन के साथ।इसलिए मायावती सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं और बीजेपी और इंडिया गठबंधन पर हमले करने का कोई भी मौका नहीं चूक रही हैं।

बताते चलें कि यह बात 2 जून 1995 की है।उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की सरकार चल रही थी। सपा से गठबंधन तोड़ने के लिए बसपा लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में बैठक कर रही थी। इस दौरान शाम करीब चार बजे एक भीड़ ने वहां नारेबाजी और बसपा नेताओ के साथ मारपीट शुरू कर दी। भीड़ ने बसपा बसपा विधायकों को अगवा करने की कोशिश की। मायावती के साथ भी बदतमीजी की गई थी। मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर अपने आप को बचाया था। इस भीड़ ने दलितों के खिलाफ अपमानजनक नारे भी लगाए थे।  बसपा का आरोप है कि मारपीट करने वालों में सपा के नेता और विधायक शामिल थे। यह कांड देश में गेस्ट हाउस कांड के रूप में मशहूर हुआ। इसे उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक काला अध्याय माना जाता है।

रेल की पटरी की तरह अलग हुई थी सपा-बसपा

गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा और बसपा रेल की पटरियों की तरह हो गए। सपा और बसपा ने 2019 से पहले तक कोई समझौता नहीं किया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा ने हाथ मिलाया। ये तब हुआ जब सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथ में आई।  इसके लिए अखिलेश यादव बसपा मुखिया मायावती के पास गए थे। गेस्ट हाउस कांड के लगभग ढाई दशक बाद मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी में वोट मांगा था। ये सभी नेता मैनपुरी में एक रैली में शामिल हुए थे। खास बात यह थी कि रैली में सबसे ऊंची कुर्सी पर मायावती ही बैठी थीं।

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कहा यह भी जाता है कि अखिलेश यादव के कहने पर मायावती ने 26 फरवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट से गेस्ट हाउस कांड से जुड़ा मामला वापस ले लिया था। सपा और बसपा का यह गठबंधन मायावती के लिए ठीक रहा। बसपा की लोकसभा में सीटों की संख्या शून्य से 10 तक पहुंच गई, लेकिन सपा की वहीं की वहीं रही। इस लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने सपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया।

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